शब्द विचार (हिंदी व्याकरण) शब्दों के भेद Words and its types in Hindi grammar/ Hindi vyakaran me shabd aur unke bhed

हिंदी व्याकरण →

शब्द विचार- यह हिंदी व्याकरण का दूसरा विभाग है। इसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि व संधि-विच्छेद, शब्द निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।

शब्द- एक या अधिक वर्णों के मेल से बनी स्वतंत्र व सार्थक इकाई शब्द कहलाती है।

जैसे- वह, शहर, वातावरण, नभ, संगीत आदि।

पद- जो शब्द वाक्य में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें पद कहते हैं।
जैसे- मोहन विद्यालय जाता है।
यहां “मोहन, विद्यालय,जाता तथा है” पद हैं।

शब्दों का वर्गीकरण →

क) व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर

ख) उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर

ग) अर्थ के आधार पर

घ) व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर

ङ) प्रयोग के आधार पर

 

[क] व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण →

व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं-

1) रूढ़ या मूल शब्द- वे शब्द जिनके टुकड़े करने पर कोई अर्थ न निकले तथा जो पूर्ण रूप से स्वंतत्र होते हैं, रूढ़ या मूल शब्द कहलाते हैं।
जैसे- घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।

2) यौगिक शब्द- दो या दो से अधिक शब्दों के योग या मेल से बने सार्थक शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं।

जैसे-
देव + आलय = देवालय
सर्व + उदय = सर्वोदय

3) योगरूढ़ शब्द- वे शब्द जो यौगिक तो होते हैं किंतु सामान्य अर्थ की अपेक्षा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।

जैसे-
नीलकंठ- शिवजी
पीतांबर- कृष्णजी
लंबोदर- गणेशजी
पंकज- कमल का फूल
दशानन- रावण

 

[ख] उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण →

उत्पत्ति या स्रोत के आधार पर शब्दों के पांच भेद हैं-

1) तत्सम शब्द– तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात् उसके समान। जो शब्द संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों या बिना किसी परिवर्तन के हिंदी भाषा में आ गए हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं।
जैसे- क्षेत्र, रात्रि, सूर्य, अग्नि, वाष्प आदि।

2) तद्भव शब्द- वे शब्द जो संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में परिवर्तित होकर आए हैं, वे तद्भव शब्द कहलाते हैं।

जैसे- खेत, रात, सूरज, आग, भाप आदि।

3) देशज शब्द- जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण आवश्यकता के अनुसार परिस्थितिवश बनकर प्रचलन में आ गए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे- गाड़ी, पगड़ी, लोटा, खिचड़ी आदि।

4) विदेशज शब्द- वे शब्द जो विदेशी भाषाओं से आकर हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने लगे हैं, विदेशी शब्द या विदेशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
अंग्रेजी- कॉलेज, रेडियो, पैन, टिकट, स्कूल, बोतल, साईकल आदि।
फारसी- अनार, चश्मा, रूमाल, दुकान, नमूना आदि।
अरबी- अमीर, कलम, औरत, कानून, कैदी आदि।
तुर्की- कैंची, चाकू, तोप, बारूद आदि।
पुर्तगाली- अचार, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, साबुन आदि।
फ्रांसीसी- पुलिस, कार्टून, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
चीनी- तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
यूनानी- टेलीफोन, टेलीग्राम, एटम आदि।

5) संकर शब्द- दो भिन्न स्रोतों से आए शब्दों के मेल से जो नए शब्द बनते हैं, उन्हें संकर शब्द कहते हैं।
जैसे- मोटर(अंग्रेजी)+गाड़ी(हिंदी)= मोटरगाड़ी
पान(हिंदी)+दान(फारसी)= पानदान
छाया(संस्कृत)+दार(फारसी)= छायादार
टिकट(अंग्रेजी)+घर(हिंदी)= टिकटघर

 

[ग] अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण→

अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं-
1) सार्थक शब्द- जिन शब्दों के अर्थ को ग्रहण किया जा सके, उन्हें सार्थक शब्द कहतें हैं।
जैसे- सब्जी, दूध, रोटी, पानी आदि।

सार्थक शब्दों के छह भेद हैं-

i) पर्यायवाची या समानार्थक शब्द- समान अर्थ बताने वाले शब्द पर्यायवाची या समानार्थक शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
रात- रात्रि, निशा
हवा- पवन,वायु आदि।

ii) विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द- जो शब्द एक दूसरे का विपरीत या उल्टा अर्थ प्रकट करते हैं, वे विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
नया- पुराना
अपना- पराया आदि।

iii) समरूप भिन्नार्थक शब्द- वर्तनी में सूक्ष्म अंतर के कारण जो शब्द सुनने मेंं एक समान लगते हैं, परंतु भिन्न अर्थ प्रकट करते हैं, वे समरूप भिन्नार्थक शब्द या श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
अंस = कंधा
अंश = भाग

अन्न = अनाज
अन्य = दूसरा

अनिल = वायु
अनल = आग आदि।

iv) वाक्यांश के लिए एक शब्द- जिन शब्दों का प्रयोग वाक्यांश या अनेक शब्दों के स्थान पर किया जाता है, उन्हें वाक्यांश या अनेक शब्दों के लिए एक शब्द कहा जाता है।
जैसे-
दिन में एक बार होने वाला- दैनिक
ईश्वर को मानने वाला- आस्तिक आदि।

v) अनेकार्थी शब्द- वे शब्द जो संदर्भ या स्थिति के अनुसार एक से अधिक अर्थ देते हैं, वे अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
अंक- भाग्य, गिनती के अंक, गोद, नाटक के अंक
अंबर- आकाश, वस्त्र, अमृत आदि।

vi) एकार्थी शब्द- जिन शब्दों का केवल एक ही अर्थ होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं।
जैसे-अगम, दुर्गम, अनुज, अग्रज, प्रलाप, विलाप आदि।

2) निरर्थक शब्द- वे शब्द जिनका कोई अर्थ न निकले या जिनका अर्थ ग्रहण न किया जा सके, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। इनका प्रयोग सार्थक शब्दों के साथ ही किया जाता है।
जैसे- वब्जी, वूध, वोटी, वानी आदि।

[घ] व्याकरणिक प्रकार्य या रूप परिवर्तन के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण→

1) विकारी शब्द- जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, काल, कारक आदि के प्रभाव से परिवर्तन होता है, वे विकारी शब्द कहलाते हैं।
जैसे-
लिंग के प्रभाव से परिवर्तन→
लड़का- लड़की

वचन के प्रभाव से परिवर्तन→
लड़का- लड़के

इनके चार भेद होते हैं-
(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) विशेषण
(iv) क्रिया

2) अविकारी शब्द या अव्यय- जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, काल, कारक आदि के प्रभाव से परिवर्तन नहीं होता, वे अविकारी शब्द या अव्यय कहलाते हैं।
जैसे- जब, तक, यदि, तो, किंतु, परंतु, के बिना, अरे आदि।

इनके पांच भेद हैं-
i)   क्रिया विशेषण
ii)  समुच्चय बोधक
iii) संबंधबोधक
iv) विस्मयादिबोधक
v)  निपात

[ङ] प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण →

प्रयोग के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं-

(1) सामान्य शब्द- सामान्य शब्दों का अर्थ है- आम नागरिकों द्वारा प्रयुक्त शब्द जो हिंदी भाषी क्षेत्रों में बोले जाते हैं।
जैसे- घर, दुकान, रास्ता, गाड़ी आदि।

(2) तकनीकी शब्द- किसी विशेष कार्य क्षेत्र जैसे- शिक्षा, ज्ञान, शास्त्र व व्यवसाय से संबद्ध विशेष शब्दावली के अंतर्गत प्रयुक्त शब्द तकनीकी शब्द कहलाते हैं।
जैसे- अभियांत्रिकी, संगणक, निदेशक, वेग, चाल, गति, ऊर्जा, शक्ति आदि।

 

3) अर्द्ध-तकनीकी शब्द- इस प्रकार के शब्द तकनीकी होते हुए भी सामान्य लोगों द्वारा दैनिक जीवन में आम बोलचाल में प्रयोग किए जाते है।

जैसे- नाटक, चुनाव, कविता आदि।

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