शिक्षा मंत्रालय ने NEP 2020 के हर पहलू को लागू करने के लिए “नो डिटेंशन पॉलिसी” में किया संशोधन

शिक्षा मंत्रालय ने NEP 2020 के हर पहलू को लागू करने के लिए “नो डिटेंशन पॉलिसी” में किया संशोधन

प्रकाशित: 23 दिसंबर 2024, 9:00 PM | PIB दिल्ली

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत, भारत का शिक्षा मंत्रालय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करने और इसे और अधिक समावेशी और प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने छात्रों के लिए बेहतर सीखने के परिणाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई कदम उठाए हैं।

नो डिटेंशन पॉलिसी में संशोधन

भारत सरकार ने 21 दिसंबर 2024 को “नो डिटेंशन पॉलिसी” में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना (G.S.R. 777(E)) जारी की। इसके तहत, “बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम” (RTE Act) 2009 के नियमों में बदलाव किए गए हैं।

संशोधित नियमों के अनुसार, कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों पर एक नई “डिटेंशन पॉलिसी” लागू होगी। यह नीति उन स्कूलों पर लागू होगी जो केंद्रीय सरकार द्वारा स्थापित, संचालित या नियंत्रित हैं, या केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे हैं।

डिटेंशन पॉलिसी के मुख्य बिंदु

1. वार्षिक परीक्षा के परिणामों के आधार पर निर्णय:
यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में पास नहीं होता है, तो उसे अतिरिक्त शिक्षण सहायता प्रदान की जाएगी।


2. पुनः परीक्षा का अवसर:
छात्रों को परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।


3. असफलता की स्थिति में:
यदि छात्र पुनः परीक्षा में भी उत्तीर्ण नहीं होता, तो उसे उसी कक्षा में दोबारा प्रवेश दिया जाएगा। इस अवधि में, शिक्षक छात्र और उसके माता-पिता के साथ सक्रिय रूप से जुड़ेंगे और सीखने में आ रही समस्याओं को दूर करेंगे।



NEP 2020 के परिप्रेक्ष्य में यह बदलाव

RTE अधिनियम में 2019 में संशोधन किया गया था, लेकिन इसे NEP 2020 और “राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा” (NCFSE) के अंतिम रूप तक लागू नहीं किया गया था। अब, हितधारकों से परामर्श के बाद, नियमों को अधिसूचित कर दिया गया है।

विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रतिक्रिया

18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, जैसे असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखंड, और दिल्ली ने संशोधित RTE अधिनियम 2019 को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की है।

हालांकि, हरियाणा और पुदुचेरी जैसे कुछ राज्यों ने अब तक इस मामले में निर्णय नहीं लिया है। वहीं, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, और अन्य राज्य अभी भी कक्षा 1 से 8 तक “नो डिटेंशन पॉलिसी” का पालन कर रहे हैं।

सारांश

यह संशोधन शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और प्रत्येक बच्चे के शिक्षा के अधिकार को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा समाप्त होने तक स्कूल से निकाला न जाए।

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