आर्ट्स के छात्रों के लिए विज्ञान विषयों में स्नातक का अवसर: शिक्षा क्षेत्र में नया बदलाव
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत एक ऐसा कदम उठाया है जो शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाओं को जन्म देगा। अब 12वीं कक्षा में आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम से पास हुए छात्र भी विज्ञान विषयों से स्नातक कर सकेंगे। यह पहल छात्रों को अपनी रुचि और करियर की जरूरतों के अनुसार विषयों का चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।
क्या है बदलाव?
पहले, आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम से 12वीं पास छात्र विज्ञान से स्नातक करने के लिए योग्य नहीं माने जाते थे। लेकिन यूजीसी के नए नियमों के तहत, अब वे भी विज्ञान के विषयों जैसे फिजिक्स, बायोलॉजी, केमिस्ट्री और मैथ्स में बीएससी ऑनर्स कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित प्रवीणता परीक्षा या संबंधित प्रवेश परीक्षा को पास करना होगा।
उद्देश्य और लाभ
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य छात्रों को उनकी पसंद के विषय में पढ़ाई का मौका देना है, भले ही उन्होंने 12वीं कक्षा में किस स्ट्रीम से पढ़ाई की हो।
छात्रों को अब यह अवसर मिलेगा कि वे अपने करियर को नई दिशा में ले जा सकें और उन क्षेत्रों में भी प्रवेश कर सकें जो पहले उनके लिए प्रतिबंधित थे।
एमएससी और एमटेक की राह भी आसान
बीएससी ऑनर्स करने वाले छात्र अब एमएससी और एमटेक जैसे उच्च शिक्षा कार्यक्रमों में भी प्रवेश ले सकेंगे। अभी तक ये पाठ्यक्रम केवल साइंस बैकग्राउंड वाले छात्रों के लिए ही उपलब्ध थे।
नए पाठ्यक्रम की संरचना
नए नियमों के अनुसार:
1. विश्वविद्यालयों को ऐसे पाठ्यक्रम बनाने होंगे जो विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए उपयुक्त हों।
2. छात्रों को उनके पहले वर्ष में उन विषयों की बुनियादी जानकारी दी जाएगी जिनसे वे पहले अपरिचित थे।
शिक्षा क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम शिक्षा क्षेत्र में समानता और लचीलापन लाने का एक बड़ा प्रयास है। छात्रों के बीच स्ट्रीम आधारित असमानता को खत्म करने की दिशा में यह कदम क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
यह बदलाव छात्रों को न केवल उनकी पसंद के विषय चुनने की आजादी देगा बल्कि उनके करियर और व्यक्तिगत विकास के लिए भी अनगिनत अवसर प्रदान करेगा। यूजीसी के अध्यक्ष, प्रो. एम. जगदीश कुमार के अनुसार, “इस कदम का उद्देश्य छात्रों के लिए एक लचीली और समावेशी शिक्षा प्रणाली तैयार करना है।”
शिक्षा के क्षेत्र में यह पहल निश्चित ही भारत के युवाओं को एक नई दिशा प्रदान करेगी।