विशेषण (Adjective)
विशेषण व उसके भेद→
परिभाषा- संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, रंग, रूप, आकार, प्रकार आदि) प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
जैसे-
एक किलो चीनी लाओ।
काली गाय आजकल कम दूध देती है।
उज्ज्वल बुद्धिमान छात्र है।
कुछ खिलाड़ी मैदान में हैं।
इस कक्षा का परिणाम आ गया है।
उपरोक्त वाक्यों में “एक किलो, काली, कम, बुद्धिमान, कुछ तथा इस” विशेषण हैं।
विशेष्य→
विशेष्य- जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
जैसे-
सफेद बिल्ली कमरे में है।
दूध स्वादिष्ट होता है।
इन वाक्यों में “बिल्ली तथा दूध” विशेष्य हैं। “सफेद तथा स्वादिष्ट” शब्द विशेषण हैं।
प्रविशेषण→
जो विशेषण शब्द अन्य विशेषण शब्दों की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं।
जैसे- वह छात्र बहुत परिश्रमी है।
आप बड़े चतुर हो।
विशाखा अत्यंत प्रतिभाशाली है।
इन वाक्यों में “बहुत, बड़े तथा अत्यंत” शब्द प्रविशेषण हैं।
उद्देश्य विशेषण व विधेय विशेषण →
वाक्य में विशेषण की स्थिति दो प्रकार की होती है-
1) विशेष्य से पहले
2) विशेष्य के बाद
इस स्थिति के आधार पर विशेषण के दो प्रकार हैं-
1) उद्देश्य विशेषण- वाक्य में विशेष्य से पहले आने वाले विशेषण शब्द को उद्देश्य विशेषण कहते हैं।
जैसे- चतुर व्यक्ति लाभ उठा लेते हैं।
भ्रष्ट आचरण देश के विकास में बाधक है।
इन वाक्यों में “चतुर तथा भ्रष्ट” शब्द उद्देश्य विशेषण हैं।
2) विधेय विशेषण- वाक्य में विशेष्य के बाद आने वाले विशेषण शब्द को विधेय विशेषण कहते हैं।
जैसे- संगीता बुद्धिमान है।
विक्रम देशभक्त है।
इन वाक्यों में “बुद्धिमान तथा देशभक्त” शब्द विधेय विशेषण हैं।
विशेषण के भेद→
विशेषण के चार भेद होते हैं→
1) गुणवाचक विशेषण
(Qualitative Adjective)
2) परिमाणवाचक विशेषण
(Quantitative Adjective)
3) संख्यावाचक विशेषण
(Numerical Adjective)
4) सार्वनामिक या संकेतवाचक या
निर्देशवाचक विशेषण
(Pronominal Adjective)
1) गुणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से हमें संज्ञा या सर्वनाम के रूप, रंग, आकार, प्रकार, गुण, दोष, दिशा, काल, स्थान, गंध, स्वाद, स्वभाव आदि का बोध होता है, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे– सुंदर, गुलाबी, बड़ा, अंडाकार, मृदुभाषी, कुटिल, दक्षिणी, पहले, भारतीय, मखमली, मीठा, सहयोगी आदि।
2) परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से हमें संज्ञा या सर्वनाम के माप-तौल अथवा मात्रा संबंधी विशेषता का बोध होता है, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- चार लीटर दूध, थोड़ी चीनी, कुछ रुपये, आधा किलो आलू आदि।
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद हैं-
i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के निश्चित माप-तौल या मात्रा या परिमाण का बोध होता है, उन्हें निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
एक किलो मटर, दो मीटर कपड़ा, दस रुपये, ढाई बजे आदि।
ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के निश्चित माप-तौल या मात्रा या परिमाण का बोध नहीं होता, अपितु अनिश्चित माप-तौल या मात्रा या परिमाण का बोध होता है, उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- कुछ फल, लगभग डेढ़ लीटर, थोड़े दिनों बाद, बहुत सारे रुपये आदि।
3) संख्यावाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या क्रम संबंधी विशेषता का बोध होता है, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- दो पुस्तकें, आठवीं कक्षा, अनेक छात्र, कुछ कुर्सियां, दोगुना लाभ आदि।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते हैं→
i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण- जो संख्यावाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या या क्रम का बोध करवाते हैं, उन्हें निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- पांच पांडव, सवा पांच बजे, नौवीं कक्षा, तिहरा शतक, दो दर्जन केले, प्रत्येक छात्र आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के छह भेद हैं-
(क) गणनावाचक विशेषण-
जैसे- एक, दो, सात, दस, सौ, पाव, आधा, पौना, सवा, ढाई, साढे चार आदि।
(ख) क्रमवाचक विशेषण-
जैसे- पहला, दूसरा, आठवां, सौवां आदि।
(ग) आवृत्तिवाचक विशेषण-
जैसे- दोगुना, तिगुना, दस गुना, इकहरा, दोहरा, तिहरा आदि।
(घ) समुदायवाचक विशेषण-
जैसे- दोनों, तीनों, चारों, सभी, सब के सब आदि।
(ङ) समुच्चयवाचक विशेषण-
जैसे- दर्जन, युग्म, जोड़ा, चालीसा, शतक आदि।
(च) भिन्नतावाचक विशेषण-
जैसे- प्रत्येक, हर एक, प्रतिमास, प्रतिवर्ष, एक-एक आदि।
ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण- जो संख्यावाचक विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की किसी निश्चित संख्या का बोध नहीं करवाते, अपितु अस्पष्ट अनुमान प्रस्तुत करते हैं, उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे- कुछ छात्राएं, थोड़े से सैनिक, अधिक वर्षा, काफी लोग, कई अध्यापक, हजारों दर्शक, दर्जनों गाड़ियां, लगभग तीन-चार बजे आदि।
(4) सार्वनामिक या संकेतवाचक या निर्देशवाचक विशेषण- जो सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा शब्दों के साथ प्रयुक्त होकर उनकी विशेषता प्रकट करते हैं अथवा जो सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा शब्दों की ओर संकेत करते हैं, उन्हें सार्वनामिक या संकेतवाचक या निर्देशवाचक विशेषण कहते हैँ।
जैसे-
यह मेरी पुस्तक है।
कोई व्यक्ति बाहर खड़ा है।
कौन-से छात्र अनुपस्थित थे?
वह गाड़ी बिजली से चलती है।
इन बच्चों को कक्षा में बैठाओ।
इन वाक्यों में “यह, कोई, कौन-से, वह तथा इन” शब्द सार्वनामिक या संकेतवाचक या निर्देशवाचक विशेषण हैं।
सार्वनामिक या संकेतवाचक या निर्देशवाचक विशेषण के चार भेद हैं-
i) निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण- जो सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा शब्दों की ओर निश्चयात्मक संकेत करते हैं, उन्हें निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
यह पुस्तक रख दो।
उस बालक को देखो।
इन वाक्यों में “यह तथा उस” शब्द निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण हैं।
ii) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण- जो सर्वनाम शब्द वाक्य में संज्ञा शब्दों की ओर अनिश्चयात्मक संकेत करते हैं, उन्हें अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
कोई व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है।
किसी छात्र को बुलाओ।
इन वाक्यों में “कोई तथा किसी” शब्द अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण हैं।
iii) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण- जो सर्वनाम शब्द वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा शब्दों की प्रश्नात्मक विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
आप कौन-सी पुस्तक पढोगे?
कौन बालक रो रहा है?
किस छात्र को खेलने चलना है?
इन वाक्यों में “कौन-सी, कौन तथा किस” शब्द प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण हैं।
iv) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण- जो सर्वनाम शब्द वाक्य में प्रयुक्त अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का परस्पर संबंध स्थापित करके उनकी विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-
जो छात्र परिश्रम करेगा, वह सफल होगा।
जैसे विचार होंगे, वैसा व्यवहार होगा।
इन वाक्यों में “जो-वह तथा जैसे-वैसा” शब्द संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण हैं।
सर्वनाम तथा सार्वनामिक विशेषण मेंं अंतर →
यह पैन मेरा है और वह तुम्हारा।
यह = सार्वनामिक विशेषण
वह = सर्वनाम
वह लड़का बहुत मेहनती है।
(सार्वनामिक विशेषण)
वह बहुत मेहनती है।
(सर्वनाम)
मुझ निर्दोष को क्यों सता रहे हो?
(सार्वनामिक विशेषण)
मुझे क्यों सता रहे हो?
(सर्वनाम)
परिमाणवाचक विशेषण व संख्यावाचक विशेषण में अंतर→
रवि ने पांच केले खाए।
(संख्यावाचक विशेषण)
रवि ने आधा लीटर दूध पिया।
(परिमाणवाचक विशेषण)
उसने ज्यादा समोसे खा लिए।
(संख्यावाचक विशेषण)
वह ज्यादा जूस पी गया।
(परिमाणवाचक विशेषण)
आज कक्षा में कम बच्चे उपस्थित हैं।
(संख्यावाचक विशेषण)
इस बोतल में कम पानी बचा है।
(परिमाणवाचक विशेषण)
मेरे पिताजी एक किलो सेब लाए।
(परिमाणवाचक विशेषण)
मैंने दो सेब खाए।
(संख्यावाचक विशेषण)
तुलना के आधार पर विशेषण की तीन अवस्थाएं होती हैं→
1) मूलावस्था- विशेषण जब सामान्य अथवा मूल अवस्था में बिना किसी परिवर्तन के प्रयुक्त होता है, उसे विशेषण की मूलावस्था कहते हैं।
जैसे- लघु, निकट, अधिक आदि।
2) उत्तरावस्था- विशेषण जब दो वस्तुओं की तुलना करके एक को कम तथा दूसरी को अधिक बतलाते हैं, उसे विशेषण की उत्तरावस्था कहते हैं।
जैसे- लघुतर, निकटतर, अधिकतर आदि।
3) उत्तमावस्था- विशेषण जब अनेक वस्तुओं में से एक वस्तु को श्रेष्ठ या कम बतलाते हैं, उसे उत्तमावस्था कहते हैं।
जैसे- लघुतम, निकटतम, अधिकतम आदि।